🕊️ इजरायल की वजह से भारत की मुश्किलें क्यों बढ़ रही हैं? जानिए हाल की घटनाओं का पूरा खेल
✍️ लेखक: Khabar Tazaa टीम
📅 अपडेटेड: जून 2025
🔍 फोकस कीवर्ड: भारत इजरायल रिश्ते, भारत पर दबाव, इजरायल फिलिस्तीन विवाद, भारत की विदेश नीति
🧩 शुरुआत एक सोचने वाले सवाल से…
सोचिए, अगर आपके दो दोस्त आपसे एक साथ मदद मांगें – लेकिन दोनों एक-दूसरे के दुश्मन हों – तो आप क्या करेंगे? भारत भी आज कुछ ऐसा ही महसूस कर रहा है। एक ओर उसका रणनीतिक साझेदार इजरायल है, और दूसरी ओर उसके पुराने मित्र इस्लामिक देश।
अब सवाल ये है: क्या भारत इजरायल के साथ खड़ा होने की कीमत चुका रहा है?
🔥 पिछले चार दिनों में क्या-क्या हुआ जो भारत के लिए चिंता का कारण बना?
- संयुक्त राष्ट्र में भारत की चुप्पी सवालों के घेरे में:
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव पास हुआ जिसमें फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्य बनाने की मांग की गई थी। भारत ने इस प्रस्ताव पर मतदान नहीं किया। इससे कई इस्लामिक देशों में ये संदेश गया कि भारत इजरायल का पक्ष ले रहा है। - PM मोदी की बधाई और वायरल पोस्ट:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब इजरायल को उसके नए राष्ट्रपति के लिए बधाई दी, तो सोशल मीडिया पर इसे एक राजनीतिक संकेत की तरह देखा गया। कई फिलिस्तीनी समर्थक देशों ने इसे भारत की एकतरफा सोच माना। - भारत में फिलिस्तीन समर्थकों का विरोध:
दिल्ली और हैदराबाद जैसे शहरों में फिलिस्तीन समर्थक पोस्टर लगाने और प्रदर्शन करने वालों पर सख्ती से कार्रवाई की गई। इससे भारत की आंतरिक राजनीति में भी इस मुद्दे की गर्मी महसूस की जा रही है।
🌐 भारत की विदेश नीति की दुविधा
भारत हमेशा से ‘गैर-पक्षपाती’ (Non-aligned) नीति का समर्थक रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारत इजरायल के करीब आया है – चाहे वो डिफेंस डील हो, टेक्नोलॉजी या कृषि सहयोग।
पर अब, जब इजरायल-गाज़ा संघर्ष तेज हुआ है, भारत को अपने पुराने मित्र इस्लामिक देशों – जैसे ईरान, इंडोनेशिया, और सऊदी अरब – के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है।
📌 भारत के लिए जोखिम क्या हैं?
खतरा | विवरण |
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तेल आयात पर असर | अरब देशों से भारत तेल का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है। तनाव बढ़ा तो कीमतें और सप्लाई प्रभावित हो सकती है। |
डिप्लोमैटिक रिश्ते | OIC (इस्लामिक देशों का समूह) भारत के खिलाफ निंदा प्रस्ताव ला सकता है। |
अंदरूनी विरोध | भारत के मुस्लिम समुदाय में इस नीति को लेकर नाराजगी बढ़ सकती है। |
🧠 तो क्या भारत ने सही किया या ग़लत?
यह सवाल इतना आसान नहीं है। एक ओर भारत इजरायल के साथ तकनीक और सुरक्षा में साझेदारी बढ़ा रहा है, तो दूसरी ओर अरब देशों के साथ आर्थिक और धार्मिक रिश्ते भी मजबूत हैं।
भारत के लिए ये चाल शतरंज की तरह है – जहां हर चाल का असर कई दिशाओं में होता है।
❓ अब सवाल आपसे
क्या भारत को फिलहाल तटस्थ रहना चाहिए या खुलकर किसी एक पक्ष के साथ जाना चाहिए?
👇 कमेंट में बताइए – आप क्या सोचते हैं? क्या भारत को अपनी विदेश नीति में बदलाव करने की ज़रूरत है या जो कर रहा है वही ठीक है?
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