ग्रेच्युटी का फंडा: नौकरी के आखिरी पड़ाव पर मिलने वाली सबसे मीठी रकम

🔰 कहानी से शुरुआत: जब रमेश की आंखें भर आईं

रमेश जी ने एक कंपनी में पूरे 20 साल काम किया। जब रिटायरमेंट का वक्त आया, HR ने उन्हें एक लिफाफा थमाया — उसमें चेक था ₹12 लाख का। “ये क्या?” पूछने पर जवाब मिला, “सर, ये आपकी ग्रेच्युटी है।” रमेश जी की आंखें नम हो गईं, लेकिन दिमाग में सवाल उठने लगा — ये ग्रेच्युटी होती क्या है? और क्या इस पर टैक्स देना पड़ेगा?

📌 ग्रेच्युटी क्या होती है?

ग्रेच्युटी एक तरह की रिटायरमेंट बेनिफिट है जो कंपनी अपने कर्मचारियों को लंबे समय तक सेवा देने के बदले देती है। ये कोई बोनस नहीं, बल्कि आपकी निष्ठा और सेवाओं का सम्मान है।

🧮 ग्रेच्युटी कैसे कैलकुलेट होती है?

अगर आप किसी कंपनी में 5 साल से ज़्यादा काम कर चुके हैं, तो आपको ग्रेच्युटी मिल सकती है। कैलकुलेशन का फॉर्मूला है:

ग्रेच्युटी = (मासिक वेतन × 15 × सेवा के वर्ष) ÷ 26

यहां वेतन में बेसिक + डीए शामिल होता है, और 26 मान लिया जाता है कि महीने में 26 वर्किंग डेज होते हैं।

📊 उदाहरण:

  • मासिक वेतन = ₹40,000
  • सेवा के वर्ष = 10
  • ग्रेच्युटी = (40,000 × 15 × 10) ÷ 26 = ₹2,30,769

💸 क्या ग्रेच्युटी पर टैक्स देना होता है?

सरकारी कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी पूरी तरह टैक्स फ्री होती है।

गैर-सरकारी कर्मचारियों के लिए यह टैक्स छूट तीन शर्तों में दी जाती है (जो भी कम हो):

  • ₹20 लाख तक की ग्रेच्युटी
  • Actual ग्रेच्युटी राशि
  • नियमित फॉर्मूले से कैल्कुलेटेड ग्रेच्युटी

अगर ग्रेच्युटी ₹20 लाख से ज्यादा है, तो अतिरिक्त राशि पर टैक्स लग सकता है।

👨‍⚖️ किन्हें ग्रेच्युटी मिलती है?

  • 5 साल या अधिक सेवा वाले कर्मचारी
  • सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में कार्यरत
  • ठेके पर नहीं, परमानेंट या फुल-टाइम कर्मचारी

🧾 ग्राफ़िक: ग्रेच्युटी की गणना

Gratuity Calculation Chart

💡 कुछ अहम बातें

  • सेवा के साल अधूरे हों तो 6 महीने से ऊपर होने पर एक साल माना जाता है।
  • यदि कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो ग्रेच्युटी की लिमिट नहीं होती – पूरी रकम मिलती है।
  • आप अपने कंपनी के HR से ग्रेच्युटी स्लिप या स्टेटमेंट मांग सकते हैं।

🧠 सोचिए जरा…

क्या आज के समय में नौकरियां इतनी स्थिर हैं कि कोई 5 साल से ज़्यादा टिक सके? और अगर ग्रेच्युटी पाने का सपना अधूरा रह जाए तो?

🔚 निष्कर्ष: आखिरी वेतन से ज्यादा जरूरी है आखिरी सम्मान

ग्रेच्युटी कोई फालतू बोनस नहीं — ये आपके समर्पण का इनाम है। अगली बार जब आप नौकरी बदलने की सोचें, तो सिर्फ सैलरी ही नहीं, ग्रेच्युटी एलिजिबिलिटी भी ज़रूर सोचिए।


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