दोहा डायमंड लीग की रात – दो एथलीट, एक ऐतिहासिक उपलब्धि।

Neeraj Chopra

शुक्रवार देर रात कतर की राजधानी दोहा में हुए डायमंड लीग मुकाबले ने एथलेटिक्स की दुनिया में खलबली मचा दी। भारत के नीरज चोपड़ा और जर्मनी के जूलियन वेबर – दोनों ने उस दूरी को पार कर लिया, जो भाला फेंक के इतिहास में एक प्रतीक मानी जाती है: 90 मीटर।

नीरज ने अपने तीसरे प्रयास में 90.23 मीटर दूर भाला फेंक कर इस मुकाम को हासिल किया और दुनिया के उन चंद 25 खिलाड़ियों में शामिल हो गए जिन्होंने यह दूरी पार की है। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई – जूलियन वेबर ने एक कदम आगे जाते हुए 91.06 मीटर की दूरी तय की और प्रतियोगिता का खिताब जीत लिया।

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इवेंट के आयोजकों ने इसे “भाला फेंक की सबसे बेहतरीन प्रतियोगिताओं में से एक” कहा।

90 मीटर क्लब: कुछ रोचक तथ्य

1. जन ज़ेलेज़्नी – एक किंवदंती

भाला फेंक में 90 मीटर की दूरी अब तक 129 बार पार की गई है, लेकिन इन प्रयासों में से 34 केवल एक ही खिलाड़ी के नाम हैं: जन ज़ेलेज़्नी। चेक गणराज्य के इस महान एथलीट का रिकॉर्ड 1996 में 98.48 मीटर के साथ बना था, जो आज भी अटूट है।

दिलचस्प बात यह है कि यही जन ज़ेलेज़्नी आज नीरज चोपड़ा के कोच हैं। नीरज ने कई बार बताया है कि वे ज़ेलेज़्नी की तकनीक के मुरीद हैं और उनके वीडियो देखकर उन्होंने खुद को निखारा।

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2. दोहा – रिकॉर्डों का गवाह

दोहा का सुहाइम बिन हमद स्टेडियम अब तक 7 अलग-अलग एथलीटों के लिए 90 मीटर क्लब में प्रवेश की जगह बन चुका है। यहां जर्मनी के थॉमस रोहलर दो बार 90 मीटर के पार जा चुके हैं, और अब नीरज और वेबर ने भी यहीं इतिहास रचा।

सके अलावा फिनलैंड का कूर्टाने भी 90+ मीटर थ्रो के लिए जाना जाता है, जहां 5 एथलीटों ने कुल 8 बार यह उपलब्धि हासिल की है।

3. जर्मनी का दबदबा

अगर इस विशिष्ट क्लब की बात करें, तो जर्मनी सबसे ऊपर है। अब तक 7 जर्मन एथलीट इस क्लब में शामिल हो चुके हैं – जिसमें हालिया नाम वेबर का है। फिनलैंड, जिसे भाला फेंक का आध्यात्मिक घर कहा जाता है, इस सूची में दूसरे स्थान पर है। चेक गणराज्य से जन ज़ेलेज़्नी और याकुब वाडलेजच जैसे दो एथलीटों का नाम जुड़ा है।

नीरज के साथ भारत भी अब इस ऐतिहासिक सूची का हिस्सा बन चुका है

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4. नया स्वर्ण युग?

1980 के बाद जब से नए रिकॉर्ड दर्ज होने लगे हैं, हर दशक में 90 मीटर क्लब में शामिल होने वाले खिलाड़ियों की संख्या घटती-बढ़ती रही है:

1990s: 7 नए एथलीट (कुल 40 बार 90 मीटर पार)

2000s: 6 नए सदस्य

2010s: 6 नए सदस्य

2020s (अभी तक): पहले ही 7 नए एथलीट क्लब में शामिल हो चुके हैं

ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि हम फिर से एक स्वर्ण युग की ओर बढ़ रहे हैं – खासकर अगर नीरज जैसी प्रतिभाएं लगातार 90+ थ्रो देने लगें।

नीरज चोपड़ा के लिए यह केवल एक मंज़िल नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत मानी जा रही है। जन ज़ेलेज़्नी के मार्गदर्शन में, और अपने जज़्बे के साथ अगर वह निरंतरता बनाए रख सकें, तो दुनिया को ज

ल्द ही भाला फेंक में और बड़े इतिहास देखने को मिल सकते हैं।

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