जब पीएम मोदी पहुँचे सिविल हॉस्पिटल: दर्द, उम्मीद और एक मुलाक़ात

अहमदाबाद की सुबह कुछ अलग थी। लोग अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में व्यस्त थे, किसी को नहीं पता था कि आसमान से एक ऐसी ख़बर टूटेगी जो पूरे शहर को झकझोर देगी। एक भयानक विमान हादसा हुआ और कई ज़िंदगियाँ पल भर में बदल गईं। इसी हादसे के बीच एक नाम फिर से लोगों के दिलों में उम्मीद की तरह उभरा—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

पीएम मोदी जब अहमदाबाद के सिविल हॉस्पिटल पहुँचे, तो माहौल एकदम गंभीर था। अस्पताल के गलियारों में दर्द पसरा हुआ था, और हर चेहरा किसी चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठा था। हादसे में घायल लोगों का इलाज यहीं चल रहा था और पीएम मोदी ने न सिर्फ़ घायलों की स्थिति के बारे में जानकारी ली, बल्कि खुद जाकर उनके पास बैठकर उनका हाल भी जाना। उनके चेहरे पर चिंता साफ़ झलक रही थी, जैसे किसी परिवार के सदस्य को देखने आए हों।

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी इस मौके पर प्रधानमंत्री के साथ मौजूद रहे। दोनों नेताओं की मौजूदगी ने घायलों और उनके परिवारों को एक सुकून का एहसास दिलाया। मोदी का यह मानवीय पक्ष लोगों के दिलों को छू गया। उन्होंने न सिर्फ डॉक्टरों से बात की, बल्कि अस्पताल में मौजूद हर व्यक्ति से सीधे संवाद कर हालात का जायज़ा लिया।

ऐसे समय में जब राजनीति अक्सर कठोर और दूर की चीज़ लगती है, पीएम मोदी की यह संवेदनशीलता दिल को छू जाने वाली थी। वे सिर्फ़ प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि एक ऐसे नेता के रूप में सामने आए जो संकट की घड़ी में अपने लोगों के बीच खड़ा होता है।

अब सवाल ये उठता है—क्या हमारे नेताओं का ऐसे मौकों पर लोगों के बीच आना एक सच्ची लीडरशिप की निशानी है या एक राजनीतिक ज़रूरत?
सोचिए… और बताइए, जब तक जवाब मिले, तब तक ये कहानी आपके ज़ेहन में रहे।

🇮🇳 यही वो पल होते हैं जो नेताओं को ‘नेता’ नहीं बल्कि ‘नायक’ बनाते हैं।

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